मध्य प्रदेश में आठ साल से चल रहे लहसुन की बिक्री पर विवाद का हुआ अंत,सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लहसुन सब्जी है मसाला नहीं

इंदौर
 मंडी के बने सरकारी नियम-कायदों में लहसुन को सब्जी की श्रेणी में ही रखा जाएगा। किसान की मर्जी है कि वो चाहे तो अपनी उपजाई लहसुन को सरकारी सिस्टम से बेचे या व्यापारियों के पास ले जाकर बेचे।

बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया है। इसके साथ ही मप्र में आठ साल से लहसुन की बिक्री पर चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया है। इसी के साथ सरकारी सिस्टम से लहसुन की नीलामी करवाने के बंधन से किसानों को मुक्ति मिल गई है।

एमपी हाईकोर्ट का निर्णय बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने  निर्णय देते हुए मप्र हाई कोर्ट की डिवीजनल बेंच के उस निर्णय को बरकरार रखा है कि लहसुन जल्द खराब होने वाली कमोडिटी है। ऐसे में इसे सब्जियों की श्रेणी में रखा जाएगा। किसान अपनी सुविधा व दाम के अनुसार इसकी बिक्री करवा सकते हैं।

लहसुन की नीलामी में सालभर से किसानों की नहीं सरकारी मर्जी चल रही थी। बीते वर्ष फरवरी से इंदौर मंडी में लहसुन की सीधी नीलामी करने से आढ़तियों और व्यापारियों को रोक दिया गया था।

नियम लागू कर दिया था कि अनाज-मसालों की तरह लहसुन की नीलामी सरकारी मंडी में सरकारी कर्मचारी करेंगे। इसके बाद मंडी में कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुआ। किसानों ने मांग की कि उनकी उपज को कहां बेचना है यह उनकी मर्जी पर छोड़ना चाहिए।

आठ वर्षों से विवाद, उलझे थे किसान

प्रदेश में लहसुन पर विवाद करीब आठ वर्षों से चल रहा था। किसानों के संगठन के आवेदन पर मप्र मंडी बोर्ड ने 2015 में लहसुन को सब्जी की श्रेणी में शामिल कर लिया था। इससे किसानों को यह छूट मिल गई थी कि वे चाहे तो लहसुन को सरकारी बोली प्रक्रिया में बेचें या चाहे तो सब्जियों के साथ आढ़तियों या व्यापारियों के द्वारा नीलाम करवा दें।

लेकिन इसके कुछ समय बाद ही कृषि विभाग ने इस आदेश को रद कर दिया और कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम(1972) का हवाला देकर लहसुन को मसाले की श्रेणी में डाल दिया। 2016 में मंडी व्यापारियों की एसोसिएशन हाई कोर्ट पहुंची।
मर्जी से नीलामी की छूट दी

कोर्ट ने 2017 में लहसुन को सब्जी में माना और किसानों की मर्जी से नीलामी की छूट दी। इसी बीच एक व्यापारी मुकेश सोमानी ने पुनर्विचार याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने फिर से फिर से लहसुन को मसालों की श्रेणी में रख दिया।

इस आधार पर सरकार ने फरवरी 2024 में आदेश जारी कर इंदौर मंडी में हो रही लहसुन की नीलामी से आढ़तियों को बाहर कर दिया। सरकारी कर्मचारियों से नीलामी शुरू कर दी। किसानों ने इसका विरोध किया। कहा कि उनकी जानकारी और पक्ष जाने बगैर निर्णय हुआ।

हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था लहसुन सब्जी है

बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती ने किसानों की ओर से हाई कोर्ट की डिवीजनल बेंच में अपील की। इस पर जुलाई 2024 में हाई कोर्ट की डिवीजनल बेंच ने निर्णय दिया कि लहसुन सब्जी है और किसान इसे अपनी मर्जी जहां चाहे बिक्री कर सकता है।

इस निर्णय पर मंडी प्रशासन खामोश रहा। व्यापारी मुकेश सोमानी फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और हाई कोर्ट डिवीजनल बेंच के निर्णय पर स्थगन हासिल कर लिया। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन हटाकर किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए डिवीजनल बेंच के आदेश को बरकरार रखा।

 

India Edge News Desk

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